शिमला: हिमाचल में चुनावों को ध्यान में रखकर खोले गए संस्थानों, दफ्तरों को सुखविंदर सिंह सुक्खू के नृतेत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बंद करने का बड़ा फैसला लिया है. सरकार के आदेशों के बाद सभी विभागों, बोर्डों, निगमों ने इन फैसलों पर तत्काल अमल करना शुरू दिया है. हिमाचल बिजली बोर्ड ने भी इस तरह के दफ्तरों को डी नोटिफाई यानी बंद करना शुरू कर दिया है. बिजली बोर्ड में भी बीते छह माह में 32 बड़े दफ्तर खोले गए थे. जबकि इनकी जरूरत नहीं थी. ऐसे में सरकार के आदेशों का पालन करते हुए बिजली बोर्ड ने इन दफ्तरों को बंद करने के आदेश दिए दिए हैं. (CM Sukhvinder Singh Sukhu decision)
40 सालों में खुले मात्र 6 दफ्तर, बीजेपी ने 6 माह में खोले 32: बिजली बोर्ड ने अपनी सभी सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया है. ऐसे में अब, सब डिवीजन और अन्य कार्यालयों को खोलने की कोई जरूरत नहीं है. यही वजह है कि बिजली बोर्ड ने भी अपनी ओर से नए दफ्तर खोलने पर ज्यादा फोकस नहीं रखा, इसका ही नतीजा रहा है कि बोर्ड ने बीते 40 सालों में मात्र 5 डिवीजन, 1 सर्किल ही प्रदेश में खोला. ये दफ्तर वहां खोले गए जहां बहुत ज्यादा जरूरत थी. लेकिन पिछले छह महीनों में ऐसे 32 कार्यालय खोले गए, वो भी ऐसे समय में जब बोर्ड द्वारा उपभोक्ताओं को अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं. पिछले 6 माह में जो कुल 32 दफ्तर खोले गए उनमें 3 ऑपरेशनल सर्कल, 12 डिवीजन, 17 सब डिवीजन शामिल हैं. (Himachal Electricity Board)
कार्यालय डिनोटिफाई करने का कर्मचारियों ने किया स्वागत: बिजली बोर्ड में पूर्व प्रदेश सरकार के कार्यकाल में खुले कार्यालयों की अधिसूचना वापस लेने के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के फैसले से कर्मचारी खुश हैं. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इंप्लाइज यूनियन (Hpsebl Employee UNION) ने राजनीतिक दृष्टिकोण से खोले कार्यालयों को डिनोटिफाइ करने के निर्णय का स्वागत किया है. प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर शर्मा और महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा कि एसोसिएशन ने चुनाव से पहले और बोर्ड प्रबंधन से मांग की थी कि बिजली बोर्ड में खोले गए इस तरह के सभी कार्यालयों को जल्द डिनोटिफाई किया जाए.
बिना जरूरत के खोले गए कार्यालय: यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड में चुनावों से पहले पिछली सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए बड़े स्तर पर कार्यालय खोले. जबकि इनकी जरूरत ही नहीं थी. एक ओर पिछले 40 वर्षों में बोर्ड में मात्र 6 दफ्तर खोले गए, लेकिन हैरानी की बात है कि पिछले छह महीनों में ऐसे 32 कार्यालय खोले गए वो भी ऐसे समय में जब बोर्ड में उपभोक्ताओं की अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं. ऐसे में सरकार के इस फैसले का कर्मचारी स्वागत करते हैं.
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